वीडियो जानकारी:<br /><br />संवाद सत्र<br />२० अक्टूबर २०१४<br />ए.के.जी.ई.सी, ग़ाज़ियाबाद<br /><br />प्रसंग:<br />आचार्य जी, मै आपको ही क्यों सुनूँ?<br />आपके ही लेख क्यों पढूँ?<br />क्या इससे मेरी वैयक्तिकता छिन नहीं जाएगी?<br />वैयक्तिकता का क्या अर्थ हैं?<br />झूठी वैयक्तिकता माने क्या?<br />मै अपना कुछ कैसे करें?<br />आज़ादी माने क्या?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते